गज़ल
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आंख आंख में अब खटकै
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प्रीत
तकादो कर हारी
थांरै मनड़ै के धारी
भूख तिरस सुध-बुध
बिसरी
नींदड़ली लागै खारी
मुळकै
जद पलकां
झपकूं
बांकी
तिरछी
छिब
थारी
आंख आंख में अब खटकै
चांद- चकोरी सी यारी
देय दरस अब
तारो ज्यूं
कान्है मीरां नै तारी
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