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..कि स्वंय की तलाश जारी है अपने और बैगानों के बीच !!

सोमवार, 11 जनवरी 2010

(स्वाइन-फ्लू का होम्योपैथी में इलाज़)

-डा. एल.एन शर्मा
ड्राफ्टिंग- राजूराम बिजारणियां "राज"
मानव जीवन का बीमारियों से पुराना रिश्ता रहा है। जीव उत्पत्ति के साथ से ही मनुष्य एवं रोगों के बीच जद्दोजहद जारी है। वक्त के साथ-साथ रोग और उनके लक्षण भी बदलते रहे हैं।
इस वक्त "स्वाइन-फ्लू" नामक खौफ़ से सम्पूर्ण विश्व खौफ़जदा है जो वास्तव में कोई "डिजीज" नहीं बल्कि एक "वारयल" है। स्वाइन-फ्लू (एच1 एन1) वारयल ने प्रत्येक जन को हिलाकर रख दिया है। ऐसे में सबको हौंसला रखने की जरूरत है ना कि डरकर बैठ जाने की।
एक नज़र डालकर देखें तो मौसमी बीमारी सर्दी-जुकाम, खांसी व बुखार के एवं स्वाइन-फ्लू के लक्षण एक जैसे ही है। सर्दी-जुकाम यथा नाक से पानी बहने, खांसी व गले में खरास होने, आंख में पानी बहने, बुखार, उल्टी व दस्त होने पर तुरन्त चिकित्सक को दिखाना चाहिए क्यों कि उक्त लक्षण स्वाइन-फ्लू की ओर संकेत करते हैं।
अमेरिका ने स्वाइन-फ्लू को राष्ट्रीय आपदा घोषित कर दिया है वहीं राजस्थान सरकार भी इसे लेकर खासा चिंतित नजर आ रही है। एलोपैथी में जहां चिकित्सक वर्ग स्वाइन-फ्लू पर अंकुश लगाने की भरपूर कोशिश कर रहा है तो होम्योपैथी में भी कारगर इलाज जारी है।
होम्योपैथी चिकित्सा में इसके बचाव हेतु "इन्फ्लूइंजिनम" एंटीबायोटिक दवा के रूप में रामबाण साबित हो रही है। स्वाइन-फ्लू होने से पूर्व व बाद में इसका सेवन किया जा सकता है। इसके साथ-साथ उपचार की प्रक्रिया में आर्सनिक एल्बम, यूपेटोरियम, बेलाडोना, जेल्सिमियम, एलियम सिपा नामक होम्योपैथिक दवा का बराबर सेवन चिकित्सक की सलाह से करना चाहिए।
स्वाइन-फ्लू की चपेट में आने से बचने के लिए मास्क अथवा कपङे से मुंह ढंककर रखें। भीङ-भाङ से दूर रहते हुए किसी से बात करते समय कम से कम एक हाथ की दूरी बनाए रखें। साबुन से दिन में चार-पांच बार हाथ धोऐं वहीं कफ पैदा करने वाले शीतल पेय ना लेवें। रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढाने वाली दवा (इन्फ्लूइंजिनम) का सेवन करते रहें। *
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-होम्योकेयर (शर्मा होम्योक्लिनिक)
भगवान महावीर मार्ग,
भंसाली मार्केट,
गंगाशहर-बीकानेर
मो. 9414142319