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..कि स्वंय की तलाश जारी है अपने और बैगानों के बीच !!

शुक्रवार, 29 अगस्त 2008

गीत

हमारी याद आएगी..!

(-राज बिजारनियाँ )

जब हम नहीं होंगे, हमारी याद आएगी

उठेगी हूक जो दिल में, तुम्हे रह-रहके रुलाएगी

कोई तनहा हो सोएगा

कोई यादें संजोएगा

कोई छुप-छुपके रोएगा

कोई पलकें भिगोएगा

करेंगे लाख कोशिशें, सभी नाकाम जाएगी

जब हम नहीं होंगे, हमारी याद आएगी

कभी तकरार की बातें

कभी खुशियों की सौगातें

कभी वो रूठना हमसे

कभी फूलों से महकाते

वक्त तो रेत है ऐसी, हाथ से छूट जाएगी

जब हम नहीं होंगे, हमारी याद आएगी

यहीं पाना यहीं खोना यहीं हंसना

यहीं रोना यहीं कहना यहीं सहना

यहीं जीना यहीं मरना

जिंदगी छाँव है ऐसी, कभी ना हाथ आएगी

जब हम नहीं होंगे, हमारी याद आएगी

राजस्थानी गंगा

ग़ज़ल

( राज बिजारनियाँ )

पाप रा धूप जळावै क्यूं

काया रोज गळावै क्यूं

काचरिया रो मोह छोडनै

तूम्बा बैल बधावै क्यूं

जिया जूण रा सांसा इतरा

मनडै नै भरमावै क्यूं

खोटा-खोटा काम घणा कर

जीवन बिरथ गमावै क्यूं

करम थांरा ई आडा आवै

आंसूडा ढळकावै क्यूं

ले गेंहू रा स्वाद सबडका

बाजरडी बिसरावै क्यूं