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LOONKARANSAR, RAJASTHAN, India
..कि स्वंय की तलाश जारी है अपने और बैगानों के बीच !!

शनिवार, 15 नवंबर 2014

इण में आणी-जाणी के







मन  री   पीड़   गिणाणी  के
ठौड़ - ठौड़   नित  गाणी  के


परण   पाळ   चातक बण नै
धर    रो   पीणो    पाणी   के


धीज   धार    धरती   बरणो
खाणी    गाणी  -  माणी  के


हँसणो  खिलणो  मिलणो है
मूंछ   रीस   में   ताणी    के


फिर-फिर थूक उछाळो क्यूं
इण   में आणी -  जाणी  के

सोमवार, 10 नवंबर 2014

अधरां पर मुस्कान राखजै





अधरां  पर  मुस्कान  राखजै
मिनखपणो  पहचान राखजै


चढ़ग्यो  उणनै ढ़ळणो पड़सी
इणी बात  रो   ध्यान राखजै


रेवै   निजर   निसाणै   माथै
हाथां  तीर   कमान   राखजै


जीवण   फूल  सरीखो  राखां
बस आ मन  में ठान राखजै


रीत-नीत  री  प्रीत  रुखाळां
सांभ विरासत  मान राखजै


बोल उडारां कद भरोला




कितरा दिन पच पच मरोला
ओळख  खुद री कद करोला


आपो आपी  फिरो  उळझता
दुख  दूजां रा  डांग  हरोला


आभो नूंतै  खोल  पांखड़्यां
बोल  उडारां  कद   भरोला


मारग बीच  बैठणो  क्यांरो
पग आगीणा  कद  धरोला


हवा  रोसणी  खुल्ला खाता
खूटै बंध कद   तक चरोला



बो कान्हो कद आवै लाडो






तिल तिल  बधती जावै लाडो
आ  चिंता  बस  खावै  लाडो


रोज  धोरियै  चढ़ती  लागै
ढ़ळसी   कुणसै  सावै लाडो


कितरा  वर  ढूंढीजै  नित रा
कुण   बैठैला   डावै   लाडो


सासू  देवर  जेठ स्सै रिस्ता
आंगण  नित  समझावै लाडो


जिण सिर सैरो मोरपांख रो

बो कान्हो  कद  आवै लाडो

।। कविता ।।






खुशबू-1 
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सुनो खुशबू.!
कहाँ चलता है
तुम्हारा वश...
हवा के आगे।



पकड़कर हाथ
ले जाती है साथ
उड़ाकर
मनचली हवा
यहाँ से वहाँ
जाने कहाँ-कहाँ.?



और तुम.!
सुहाग की सेज पर
पहली बार
लाई गई
नवौढ़ा सी...



लज्जाई-घबराई
विवश-बेबस.!
देखती भर हो
धारकर मौन
मारकर मन।


आँखों में लिए प्रश्न.!


भला अजनबियों से
खुलता
घुलता
मिलता है कोई.!






खुशबू-2
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खुशबू.!
तुम्हे ले जाती है हवा
अपने साथ
बलात्...
रावण की भान्ति
उड़न खटौले में
बैठाकर
चुराकर
फूलों की हद सें।



और तुम.!
हर बार
चल पड़ती हो
तोड़कर लक्ष्मण रेखा
छोड़कर देह फूलों की.।



फूल...
झरे नहीं
मरे नहीं
तो करे क्या.?



भला बिना प्राण
हँसता
खिलता
हिलता है कोई.?




  • * राज बिजारणियां