मेरे बारे में

मेरी फ़ोटो
LOONKARANSAR, RAJASTHAN, India
..कि स्वंय की तलाश जारी है अपने और बैगानों के बीच !!

सोमवार, 10 नवंबर 2014

।। कविता ।।






खुशबू-1 
------------



सुनो खुशबू.!
कहाँ चलता है
तुम्हारा वश...
हवा के आगे।



पकड़कर हाथ
ले जाती है साथ
उड़ाकर
मनचली हवा
यहाँ से वहाँ
जाने कहाँ-कहाँ.?



और तुम.!
सुहाग की सेज पर
पहली बार
लाई गई
नवौढ़ा सी...



लज्जाई-घबराई
विवश-बेबस.!
देखती भर हो
धारकर मौन
मारकर मन।


आँखों में लिए प्रश्न.!


भला अजनबियों से
खुलता
घुलता
मिलता है कोई.!






खुशबू-2
------  


खुशबू.!
तुम्हे ले जाती है हवा
अपने साथ
बलात्...
रावण की भान्ति
उड़न खटौले में
बैठाकर
चुराकर
फूलों की हद सें।



और तुम.!
हर बार
चल पड़ती हो
तोड़कर लक्ष्मण रेखा
छोड़कर देह फूलों की.।



फूल...
झरे नहीं
मरे नहीं
तो करे क्या.?



भला बिना प्राण
हँसता
खिलता
हिलता है कोई.?




  • * राज बिजारणियां

कोई टिप्पणी नहीं: