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LOONKARANSAR, RAJASTHAN, India
..कि स्वंय की तलाश जारी है अपने और बैगानों के बीच !!

शनिवार, 24 जनवरी 2009

रंगीलो राजस्थान

राजस्थानी गीत

सावण री सुगंध ..!

(-राज बिजारनियाँ )

खेतां री मेडा पर घुमां धूड लागगी पाँव मांय

सावण री सुगंध सखी आवै म्हारै गाँव मांय

काळी कंठी बाँध कलायण

लीलै आभै चढ़ आवै

सतरंगी सुपनां रो धनुवो

हरख-हरख मनडै भावै

गड़-गड़ करता गड़ा गठीला पड़-पड़ पङता ठांव मांय

सावण री सुगंध सखी आवै म्हारे गाँव मांय

धोरे ढलता खेत-खेडीया

खींपो-खींप खींपोळी है

रोहीडो रोही रो राजा

फूलां केसर घोळी है

खेती सेती गळ-गळ काया करसै री नित दांव मांय

सावण री सुगंध सखी आवै म्हारे गाँव मांय

हीयो हुळसै हींड हींडता

गौरी घूँघट सरमावै

तपतै सूरज एक छांवलो

गीत जीत रा नित गावै

घणी थाकगी रूप-रुपाळी आ बैठ रूंख री छाँव मांय

सावण री सुगंध सखी आवै म्हारे गाँव मांय

दीयाळी रै दीयां री लौ

प्रीत रीत री बात करै

गोगो आखातीज सावणी

घर-घर में सौगात धरे

आणो-जाणो तीज त्यूंहारा मरण-परण नै नावं मांय

सावण री सुगंध सखी आवै म्हारे गाँव मांय