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LOONKARANSAR, RAJASTHAN, India
..कि स्वंय की तलाश जारी है अपने और बैगानों के बीच !!

शनिवार, 24 जनवरी 2009

आदाब अर्ज है

ग़ज़ल

(-राज बिजारनियाँ )

बदली निगाहें मेरी ज़माना बदल गया

ख़्वाबों के बदले रंग फ़साना बदल गया

ना होश है सऊर ना कोई ख़याल है

मन मस्त है अपने में तराना बदल गया

चाँद से गुस्ताखियाँ तारों की देखकर

सांझ का सूरज को बुलाना बदल गया

मेघा के अश्क देखकर अवनी की मांग में

आसमां का हंसना हंसाना बदल गया

कोसता है सीप को पगलाया पपीहा

जबसे है स्वाति बूँद घराना बदल गया

'राज' के लबों पे सोया गहरा राज़ है

हौले से मुहब्बत का खजाना बदल गया