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..कि स्वंय की तलाश जारी है अपने और बैगानों के बीच !!

शुक्रवार, 9 जनवरी 2009

मानस-मंथन

होने दो एक बार ..!

-(राज बिजारनियाँ)

होने दो एक बार प्रलय ..!

फिर से मनु नव पल्लव संग

सृष्टी का निर्माण करेगा

तमस घना सकुचाएगा

प्रकाश पुंज कोई तब अवनी पर

ज्योतिर्मय हो दमकेगा !

फिर से धरा यह अति प्रसन्न हो

सुधाघट का पान करेगी

श्रद्धा करबद्ध हो फिर से

जीवन का आह्वान करेगी !!