इंसानों के घने जंगल में
गरीबी की
मैली चद्दर में लिपटी
एक जिन्दा लाश !
रेत के ढेर का
एक अदद ठोकर से
कण-कण होकर
बिखर जाना !
घुंघट में छिपे
नुरानी चेहरे पर
तेजाब से बने
काले स्याह दाग सा !
जीवन की बलखाती
क्षितिज को छूती
लम्बी सड़क पर
एक छोटा सा स्पीड ब्रेकर !
हमारी और आपकी नजरें
देखती है
कोई मंजर
एक साथ!
मगर
बदल जाता है
दोनों के देखने का
नजरिया..!
अंतस की गहराईयों से निकल
यथार्थ को संवारनें के लिए
कुछ कर गुजरने की
तमन्ना लेकर उठते हैं-
ख्वाब.!