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..कि स्वंय की तलाश जारी है अपने और बैगानों के बीच !!

रविवार, 14 अप्रैल 2013

बेटा..कद आवैला गांव


बेटा..कद आवैला गांव
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बेटा..कद आवैला गांव

दादो झलग्या
पकङी मांची
दादी  कूकै
जमग्या आंसू
बूढी  काया
फिरै डोलती
आंख  फूटगी
कद करवासी

दिन आथण नांव
बेटा..कद आवैला गांव

आंधी कै ही
डाकण ही बा
साथै लैगी
टेण-छपरिया
खींप कूदग्या
दूजी बाखळ
खूंटा पङग्या
धूङ खावंता

धूं-तावङो, कोनी छांव
बेटा..कद आवैला गांव

नीरो निवङ्यो
भूखा डांगर
रोज डीडावै
ठाण चाटता
काठी सूखी
दूध कठै अब
फिरै रोगला
डगमग ढांडा

साथै - निकळी पांव
बेटा..कद आवैला गांव

रोज बटाऊ
चौकी ढूकै
करां चीकणी
रोटी क्यांऊं
स्यान राखतां
स्यान आयगी
मरज़ादा नित
चौङै आवै

फूट्या एक एक ठांव
बेटा..कद आवैला गांव

कितरी आंख्यां
थळी चीरती
बळै काळजो
आंख्यां रङकै
घोङै सूदी
दो दो बेट्यां
किंया खटावै
बाबल आंगण

धोरै  चाढ  इण  डांव
बेटा..कद आवैला गांव

करूं हथाई
किण रै साथै
हुयो एकलो
आंगण खावै
जद सूं थांरो
नानो गुजरया
मायङ थांरी
रैवै गुमसुम

काग थक्यो कर कांव
बेटा..कद आवैला गांव

सुख री छिंयां
मंदी पङगी
दुख रो दाळद
दिन दिन दूणो
बाबल थांरो
घणो थाकग्यो
कद हुवैला
मै थांरली

खेत चढायो दांव
बेटा..कद आवैला गांव

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