एक समर्थ कवि राज बिजारणिया
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- Ashvani Sharma, jaipur (Notes) on Thursday, April 11, 2013 at
7:34pm
राजस्थान में बीकानेर के समीप भारतीय सेना के तोपाभ्यास हेतु ३३ गाँवों की जमीन अवाप्त की गयी। इन गाँवों में से ही एक गाँव
मोटोलाई में जन्मे कवि राज बिजारणियां राजस्थानी के ऊर्जावान युवा कवि हैं।
गत दिनों उन का भेजा राजस्थानी कविता संग्रह 'चाल भतूळिया रेत रमां' खांटी राजस्थानी में लिखी गयी नये तेवर लिए ये कवितायेँ एक समर्थ कवि का परिचय देती हैं। राजस्थान की पीड़ा को उजागर करती कवितायेँ जहां माटी से जुडाव बताती हैं, वहीँ प्रेम कवितायेँ रेगिस्तान के दिल में बहती सजल धारा को उजागर करती हैं।
अकाल के थपेड़ों से जर्जर रेगिस्तान के लिए बरसात का क्या मतलब होता है ये इन कविताओं को पढ़ कर पता चलता है।
बगूले के शब्द चित्र, आंधी का अर्थ और यादों के साए में पलते दर्द, ज़िन्दगी का अर्थ टटोलती ये कवितायेँ दिल के बहुत नज़दीक दस्तक देती हैं।
बगूले के शब्द चित्र, आंधी का अर्थ और यादों के साए में पलते दर्द, ज़िन्दगी का अर्थ टटोलती ये कवितायेँ दिल के बहुत नज़दीक दस्तक देती हैं।
संग्रह का सब से अच्छा हिस्सा है विस्थापन के गहरे दर्द को समेटती कवितायेँ
आंटी
लकड़यां
चकलो-बेलण
पींपो-चूल्हो
धणी-लुगाई
टाबर
चकलो-बेलण
पींपो-चूल्हो
धणी-लुगाई
टाबर
टोळी
मंडतो
मंडतो
खिंडतो
खिंडतो
खिंडतो
मंडतो
पूरो-सूरो
पूरो-सूरो
....घर तो है
ये घर के होने न होने की पीड़ा बहुत त्रासद है। ये घनीभूत पीड़ा कहीं कहीं मोटोलाई की पीड़ा से निकल वैश्विक परिदृश्य में निर्वासन की पीड़ा भोगते मानव मात्र की पीड़ा बन जाती है। यही कवि के सफल होने की परिचायक है। मुझे संग्रह ने बहुत प्रभावित किया।
युवा कवि को अनेकानेक साधुवाद.! मुझे इन कविताओं से परिचित होने का मौका देने के लिए.!!
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