मेरे सवालों का जवाब तुम
( -राज बिजारणियां )
प्रिय.!
तुम्हारे अधरों की
पालकी पर सवार स्मित.!
आह्लादित कर देती है
मेरे सुसुप्त मन को।
सौंदर्य की
पराकाष्ठा को लांघती
पलकों का तुम्हारी
आहिस्ता से उठना.!
बना देता है
विवश मुझे
गज़ल लिखने पर।
सुर्ख गालों से
ठिठोली करती सर्पीली लट
जब खेलती है
तुम्हारी
नजाकत भरी अंगुलियों से
आंख मिचौली!
तब पाणिपोरों में मेरे भी
होने लगती है हरारत.!
तुम्हारे
सुरमई नयनों की
संध्या सिंदुर से चुराई लालिमा
खींच देती है क्यों.?
मेरी आंखों में भी रतनारी डोरे।
आखिर क्यों
उस दिन भी
जब नाग कन्याऐं
थामकर रास सूर्याश्वों की
खींचकर
ले जाने लगी
पाताल लोक में
तब तुम्हारे
चक्षुओं की दहलीज से
ढुलक आए अश्रु
सिरहन बनकर
दौङ उठे
रग-रग में मेरी.!
मेरे तमाम अनसुलझे
सवालों का जवाब
तुम ही तो हो..!!
मैं हूं शशि
तुम साक्षात मार्तण्ड।
तुम ही बनती हो
मेरी ऊर्जा का स्रोत।
( -राज बिजारणियां )
प्रिय.!
तुम्हारे अधरों की
पालकी पर सवार स्मित.!
आह्लादित कर देती है
मेरे सुसुप्त मन को।
सौंदर्य की
पराकाष्ठा को लांघती
पलकों का तुम्हारी
आहिस्ता से उठना.!
बना देता है
विवश मुझे
गज़ल लिखने पर।
सुर्ख गालों से
ठिठोली करती सर्पीली लट
जब खेलती है
तुम्हारी
नजाकत भरी अंगुलियों से
आंख मिचौली!
तब पाणिपोरों में मेरे भी
होने लगती है हरारत.!
तुम्हारे
सुरमई नयनों की
संध्या सिंदुर से चुराई लालिमा
खींच देती है क्यों.?
मेरी आंखों में भी रतनारी डोरे।
आखिर क्यों
उस दिन भी
जब नाग कन्याऐं
थामकर रास सूर्याश्वों की
खींचकर
ले जाने लगी
पाताल लोक में
तब तुम्हारे
चक्षुओं की दहलीज से
ढुलक आए अश्रु
सिरहन बनकर
दौङ उठे
रग-रग में मेरी.!
मेरे तमाम अनसुलझे
सवालों का जवाब
तुम ही तो हो..!!
मैं हूं शशि
तुम साक्षात मार्तण्ड।
तुम ही बनती हो
मेरी ऊर्जा का स्रोत।
6 टिप्पणियां:
बहुत सुन्दर!
सुप्रिय भाई राज बिजारणियां जी
नमस्कार !
कैसे हैं ? अवश्य ही सपरिवार स्वस्थ-सानन्द हैं ।
"मेरे सवालों का जवाब तुम!" बहुत ही सुंदर भाव-शिल्प की एक श्रेष्ठ रचना है । पढ़ कर मन मुग्ध हो गया । वाह वाऽऽह !
अधरों की पालकी पर सवार स्मित! बहुत ख़ूब !
और … सौंदर्य की पराकाष्ठा को लांघती पलकें!
राज भाई, पलकों के सौंदर्य से प्रेरित हो'कर पहले किसी कवि ने शायद ही पराकाष्ठा लांघने की कल्पना की हो … अत्युत्तम !
पूरी रचना श्रेष्ठ शब्द-चयन और कोमल भावों के कारण स्मरणीय हो गई है , बधाई और मंगलकामनाएं !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
नमस्कार !
नव वर्ष कि आप का बहुत बहुत बधाई ,
सुंदर रचना के लिए साधुवाद .
सादर
बहुत खूब और बहुत सुंदर
बहुत खूब और बहुत सुंदर
बहुत खूब और बहुत सुंदर
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