मुठ्ठी में
कस’र दाब्योङो
जीवण
छिणक में
सुरसुरा’र बण जावै रेत!
पानां री ओळ्यां में पळती प्रीत
जोङ’नै पानै सूं पानो
हरयो करद्यै हेत!
फर्क कांई.? देख.!
एकै कानी प्राण बिहुणा
दूजै कानी म्है’क.!!
पाणी!
फगत पाणी हुवै
न्है’र में बैंवतो
झरणै सूं हींडतो
दूर हुवै
भेद-अभेद सूं!
नाजोगो माणस!
कुण्ड
माटकी’र
लौटै रो
पीव’नै सीतळ पाणी
उकळतो-उफणतो
कियां उतार देवै
छिणक में
मुळकतै मूंढां रो पाणी.!
लखदाद है.!
लोग बोल जावै
साव धोळो कूङ
घणै आतम बिसवास साथै।
अब बताओ
कूङ पर करां झाळ
का सरावां उणारै
आतम बिसवास नै.!
कविता कोनी
फाङ’र धरती री कूख
चाण’चक उपङ्यो भंफोड.!
कविता कोनी
खींप री खिंपोळी में
पळता भूंडिया
जका
बगत-बेगत
उड। जावै
अचपळी पून रो
पकड। बां’वङो.!
नीं है कविता
खेत बिचाळै
खङ्यो अङवो
जको
ना खावै ना खावणद्यै।!
कविता सिरजण है
जीवण रो!
अनुभव री खात में
सबदां रा बीज भरै
नूंवीं-नकोर आंख्यां में
सुपनां रा
निरवाळा रंग।
अब बता-
कींकर कम हुवै
सिरजणहार रै सिरजण सूं
कवि रो रचाव.?
-राजूराम बिजारणियां "राज"
श्री लक्ष्मी फोटो स्टेट,
लूनकरणसर (बीकानेर)
फोन नं। 9414449936