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LOONKARANSAR, RAJASTHAN, India
..कि स्वंय की तलाश जारी है अपने और बैगानों के बीच !!

रविवार, 31 अगस्त 2008

राज बिजारनियाँ की छोटी कविताएँ

राम होने के लिए

हर युग में

राम को

ईश्वरत्व प्राप्ति के लिए

आवश्यकता पड़ती है

किसी ना किसी

रावण की.!

बाखल

पुरखों संग जुड़ा

बरसों पुराना

नाता तोड़कर

दहलीज को लाँघ

कमरे में

करीने से

सज्जे बेड पर

सिमट कर

आ बैठी है

बाखळ.!

थाली में श्मसान.!

अरी ! ओ

नन्ही सी जीभ!

अपने

क्षणिक स्वाद खातिर

क्यों बना देती हो तुम..

थाली में श्मसान.!

प्रश्न

हर बार

स्टोव फटने के बाद

क्यों आती है

सिर्फ

बहुओं के

जलने की ख़बर.!

क्या सास साथ लेकर

जन्मती है''स्टोव प्रुफ'' कवच.!