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LOONKARANSAR, RAJASTHAN, India
..कि स्वंय की तलाश जारी है अपने और बैगानों के बीच !!

मंगलवार, 31 दिसंबर 2013

सोनै सो प्रभात

 
 
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सोनै सो प्रभात
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सूरज रेती एक सी सोनै सो प्रभात
नवै बरस में बांटता शुभ सुगनी सौगात
 
 
 
मरुधर म्हारै देसड़ै सोनै बरणी रेत
कण कण मुळकै मोद में पल पल पसरै हेत
 
 
 
नैण बिछायां मरुधरा हंस हंस काटै रात
आगै री सुध लेवती छोड़ पुराणी बात

गज़ल

 
 
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सदा  डांग पर  डेरा अब तो छात दे
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थांरी  थळगट  सिर झूकै  औकात दे
डाळी  लटकै  फूल  एकलो  पात दे
 
 
नाड़ ताणली  कांटा  कळियां कुमळाई
हवा,  रोसणी,  पाणी  साथै  खात दे
 
 
उमर गाळदी आखी रुळतां  खोड़ां में
सदा  डांग पर  डेरा अब तो छात दे
 
 
बदळै रंग हजार पलक में किरड़ै ज्यूं
बां  चैरां  रै  मनसूबां  नै  मात  दे
 
 
हिंदु मुसळिम सिख  ईसाई न्यारा क्यूं
जै देणो तो  सबनै  माणस  जात दे


गज़ल





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आंख आंख में  अब खटकै
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प्रीत  तकादो   कर   हारी
थांरै   मनड़ै   के    धारी
 
 
भूख तिरस सुध-बुध बिसरी
नींदड़ली    लागै    खारी
 
 
मुळकै  जद पलकां  झपकूं
बांकी  तिरछी  छिब  थारी
 
 
आंख आंख में  अब खटकै
चांद- चकोरी  सी   यारी
 
 
देय दरस  अब  तारो ज्यूं
कान्है   मीरां   नै   तारी